आज अरहर (तूर/लाल चना)(साबुत) का मंडी रेट (14 अगस्त 2023 के अनुसार)

अरहर दाल एक स्वादिष्ट और पौष्टिक भारतीय खाद्य भारतीय खाने की विविधता और स्वाद की बात हो, तो अरहर दाल का नाम जरूर आता है। यह एक प्रमुख दाल है जो भारतीय गृहिणियों के रसोईघर में विशेष पसंदीदा है, और यह कुछ खास और पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है।

अरहर दाल का पौष्टिक महत्व भारतीय आहार में अत्यधिक है। यह दाल उच्च प्रोटीन, आयरन, फाइबर, फोलिक एसिड, और विटामिन सी का स्रोत होती है। इसमें प्राकृतिक गर्मियों में ताजगी की मिलती है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और पाचन संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।

अरहर दाल को विभिन्न तरीकों से बनाया जा सकता है – डाल चावल, डाल रोटी, डाल खिचड़ी, और बहुत सारे व्यंजन। इसका स्वाद ख़ुद इसे बनाने वाले के हाथों का होता है, क्योंकि यह विभिन्न मसालों, तड़कने और उपयोग की गई घी या तेल के साथ मिलकर एक आकर्षक और स्वादिष्ट खाना बन जाता है।

अरहर दाल खाने में ही नहीं, बल्कि यह आपकी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। इसके नियमित सेवन से आपके शरीर को मिलते हैं:

  • अच्छे प्रकार के प्रोटीन, जो मांस नहीं खाते व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है।
  • फाइबर, जिससे पाचन ठीक रहता है और कब्ज से राहत मिलती है।
  • आयरन, जो हेमोग्लोबिन की बढ़ोतरी के लिए महत्वपूर्ण है।
  • फोलिक एसिड, जो गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है।
  • विटामिन सी, जो इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है।

अरहर दाल के सेवन से आपके शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और आपकी सेहत मजबूत बनती है। इसके साथ ही इसका स्वाद भी आपकी जीवन में एक खास महत्व रखता है, और यह भारतीय रसोईघर की महत्वपूर्ण पहचान बन गई है।

अरहर दाल की खेती: एक पौष्टिक फसल की खेती

भारतीय कृषि परिप्रेक्ष्य में अरहर दाल की खेती एक महत्वपूर्ण फसल की खेती मानी जाती है। अरहर दाल, जिसे टूर डाल भी कहते हैं, एक पौष्टिकता से भरपूर दाल होती है जो भारतीय आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह दाल पूरे भारत में पसंदीदा होने के साथ-साथ उसके कृषि उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।

अरहर दाल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु: अरहर दाल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु गर्मियों की तरह उष्णकटिबंधीय और उपष्णकटिबंधीय जलवायु होती है। यह फसल भाप में भी अच्छे प्रदर्शन करती है और अच्छे उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

अरहर दाल की बीज की खेती:

  1. बीज की खरीद: अरहर दाल की खेती के लिए अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों की खरीद करें।
  2. बीजों की तैयारी: बीजों को पूरे और स्वस्थ पौधों की तैयारी के लिए पूर्व-बीज उपचार करें।
  3. बुआई: बुआई का समय बीसीजन से आठू तक हो सकता है, जिसका वर्षा के साथ मिलन चाहिए।
  4. खेत प्रबंधन: खेत में अच्छी ड्रेनेज और शीतल भूमि की व्यवस्था करें।
  5. उर्वरक: बुआई के समय उर्वरक देने से बेहतर उत्पादन होता है।
  6. पूँछा गया काम: पूँछा गया काम जैसे कि खुदाई, खरपतवारी, और उचित समय पर पानी देना करें।

अरहर दाल की खेती एक लाभकारी खेती मानी जाती है क्योंकि इससे उत्पन्न होने वाली दाल की मांग भारतीय बाजार में हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा, यह खेती स्थानीय किसानों के लिए आय का माध्यम भी प्रदान करती है और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देती है।

देश की प्रमुख मंडियों में अरहर (तूर/लाल चना)(साबुत) के मंडी रेट और आवक (14 अगस्त 2023 के अनुसार)

गुजरात मंडी आवक (टन में)न्यूनतम रेट (रु./क्विं.)अधिकतम रेट (रु./क्विं.)मोडल रेट (रु./क्विं.)
अमरेली0.1450093109310
दाहोद11.3800085008300
धोराजी0.3860595059255
जसदान0.1750575057505
जूनागढ़84.38750102009900
राजकोट67275100758875
तलेजा0.1757577507665
विसावदर0.4850098809190
कर्नाटक मंडी आवक (टन में)न्यूनतम रेट (रु./क्विं.)अधिकतम रेट (रु./क्विं.)मोडल रेट (रु./क्विं.)
बीदर1385251052910169
गदगNR411450274418
गुलबर्गा35100691076010442
रायचुरNR445596007626
केरला मंडी आवक (टन में)न्यूनतम रेट (रु./क्विं.)अधिकतम रेट (रु./क्विं.)मोडल रेट (रु./क्विं.)
पलक्कड़1140001500014600
महाराष्ट्र मंडी आवक (टन में)न्यूनतम रेट (रु./क्विं.)अधिकतम रेट (रु./क्विं.)मोडल रेट (रु./क्विं.)
अमलनेरNR850090009000
अंबाजोगाईNR102001020010200
भोकरNR940094009400
चिखली69001100019501
धुलेNR865586558655
दुधानी690001045010000
हिंगोली109500101659832
मल्कापुर2499001090010500
मुरीमNR980198019801
नागपुर6950099829862
नांदुरा1594711075010750
नेर पारसोपंत1957599059727
पैठणNR976197619761
तेलंगाना मंडी आवक (टन में)न्यूनतम रेट (रु./क्विं.)अधिकतम रेट (रु./क्विं.)मोडल रेट (रु./क्विं.)
आलेर0.1660066006600
उत्तर प्रदेश मंडी आवक (टन में)न्यूनतम रेट (रु./क्विं.)अधिकतम रेट (रु./क्विं.)मोडल रेट (रु./क्विं.)
बहराईच26.5810082508170

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