Aaj Ka Sarso Ka Bhav: सरसो के दाम में गिरावट की उम्मीद नहीं

हमारे दैनिक जीवन में कुछ ऐसे वस्तुएं होती है, जिनका प्रयोग हम रोजमर्रा के कार्यों को पूर्ण करने हेतु करते हैं और हमारे देश के घरों में शायद ही ऐसी कोई रसोई होगी जहां पर सरसों का प्रयोग नहीं होता होगा.

आज के इस पोस्ट में आपको सरसों के विषय में ऐसी बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होगी, जिसके विषय में सामान्य व्यक्ति का जान लेना बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है.

जयपुर के विषय में जाने

तेल मिलों की मांग कमजोर पड़ने के परिणाम स्वरूप घरेलू बाजार में बीते कुछ दिनों में सरसों के मूल्य में गिरावट देखने को मिली है.

जयपुर में कंडीशन की सरसों के मूल्य ₹25 की गिरावट के साथ ₹6725 प्रति क्विंटल हो चुके हैं.

इसी दौरान सरसों का दैनिक आवक घट चुका है, जो 2.25 लाख बोरी हो चुका है.

व्यापारियों के मुताबिक घरेलू बाजार में सरसों के मूल्यों में गिरावट तो आई ही है, किंतु व्यापारी अधिक घाटे में नहीं है.

क्या है कारण?

इंडोनेशिया इस हफ्ते से पाम तेल के निर्यात पर नियमों को और भी ज्यादा सख्त करने वाली है.

यदि जानकारों की मानें तो उनके मुताबिक जनवरी से चीन की सीमा पुनः से खुल जाएगी.

यदि जानकारों की मानें तो, उनके अनुसार घरेलू बाजारों में सरसों तथा इसके तेल के मूल्यों में तेज मंदी काफी हद तक विश्व बाजार में खाद्य तेलों के मूल्यों पर निर्भर कर रही है.

कितने की आई गिरावट?

वहीं दूसरी ओर व्यापारियों की नजर चीन की मांग पर भी टिकी हुई है. ब्रांडेड तेल कंपनियों ने सरसों की खरीदारी के मूल्यों में ₹50 से लेकर के ₹150 प्रति क्विंटल तक की गिरावट कर दी है.

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सप्रेस के मूल्यों में शनिवार को गिरावट देखने को मिली है.

जिसके परिणाम स्वरूप इसके मूल्य क्रमशः ₹1368 तथा ₹1358 प्रति 10 किलो हो चुके हैं.

इसी के चलते सरसों में ₹25 की गिरावट आई, जिसके चलते इसका मूल्य भी ₹2625 प्रति क्विंटल हो चुका है,

इसके साथ ही देश भर की मंडी में सरसों के दैनिक आवक भी शनिवार को घटकर के 2.25 लाख बोरी हो चुकी है. वहीं शुक्रवार को इसकी आवक 2.75 बोरी थी.

नए साल की शुरुआत में बड़ी राहत

नए साल की शुरुआत के साथ ही साथ तेल और तिलहन के कारोबार को सरकार की ओर से एक बहुत बड़ी राहत की प्राप्ति होने वाली है. 

खाद्य सार्वजनिक वितरण तथा उपभोक्ता मामलों से संबंधित मंत्रालय ने तेल तिलहन से स्टॉक लिमिट को हटा दिए जाने का आदेश जारी कर दिया है.

31 जनवरी के पश्चात तेल तथा तिलहन पर स्टॉक लिमिट का नियम प्रभावी नहीं सिद्ध होगा. इससे बाजार तथा स्टाकिस्ट दमोह में मजबूती की उम्मीद जताई जा रही है. 

सरसों तेल का प्रयोग

वैसे तो सरसों तेल का प्रयोग हमारे देश में प्रत्येक घर में किया जाता है. इसका मुख्य रूप से प्रयोग एडिबल ऑयल के रूप में किया जाता है, अर्थात खाने बनाने के लिए इसका प्रयोग होता है.

ऐसे में उनके मूल्यों में यदि गिरावट आती है, तो इससे केवल किसी एक इंसान को ही लाभ नहीं होगा बल्कि इसके स्थान पर सरसों तेल का प्रयोग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लाभ प्राप्त होगा.

सरसों तेल के प्रयोग की यदि बात की जाए तो इसका मुख्य प्रयोग तो खाने बनाने हेतु ही किया जाता है. किंतु कई कई लोग तो इसका प्रयोग और भी बहुत सारे क्रियाकलापों हेतु किया करते हैं.

सरसों, एक तिलहन फसल

यदि बात की जाए सरसों की तो सरसों को तिलहन फसल की श्रेणी में रखा जाता है. सरसों का प्रयोग मुख्य रूप से इसके तेल प्राप्ति हेतु किया जाता है. बहुत सारे किसान सरसों को तेल प्राप्ति हेतु ही उगाते हैं.

किंतु इसका आशय यह नहीं है, कि तिलहन फसल में केवल सरसों ही आते हैं. तिलहन फसल में सरसों, बादाम, मूंगफली, सोयाबीन, तिल इत्यादि भी आते हैं.

वैसे तो इन सभी तिलहन फसलों को उगाने का मुख्य उद्देश्य इन से प्राप्त होने वाला तेल ही है. अर्थात इन्हें तेल प्राप्ति हेतु ही उगाया जाता है. तिलहन फसल से प्राप्त होने वाले तेल को एडिबल ऑयल की कैटेगरी में भी रखा जाता है.

कैसे होती है सरसों की खेती?

सरसों की खेती करने का मुख्य उद्देश्य इससे प्राप्त होने वाले तेल को पाना होता है.

सरसों को उगाने के लिए किसान सर्वप्रथम तो खेत की जुताई करते हैं, उसके पश्चात उसे पट्टा लगाकर के समतल कर देते हैं.

इतना सब करने के पश्चात सरसों के बीजों को खेत में छिड़क दिया जाता है और समय के साथ-साथ सरसों के पौधे इन बीजों से निकलते हैं और कुछ महीनों के पश्चात ही सरसों पूर्णत विकसित हो जाते हैं.

उसके पश्चात किसानों को इन फसलों को पकने तक का समय देना होता है. एक बार पक जाने के पश्चात सरसों के पौधे से सरसों के बीजों को अलग कर लिया जाता है और उन्हीं बीजों से तेल को निकाला जाता है.

क्या आप पहली बार कर रहे हैं सरसों की खेती?

यदि आपने भी सरसों की खेती करना प्रारंभ कर दिया है और इस बार आप पहली बार यह कार्य करने जा रहे हैं, तो आपको इस विषय में कुछ आवश्यक जानकारियों को एकत्रित कर लेना चाहिए.

सर्वप्रथम तो हम आपको बता दें कि सरसो को उगाना कोई बड़ी बात नहीं है, इसे आप अपने आवश्यकता अनुसार तथा अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने पास से पर्याप्त उपजाऊ भूमि में उगा सकते हैं.

और इसके बाद बीजो को मिल में ले जा कर आप इनसे आसानी से तेल निकलवा सकतें हैं, क्योंकि बस इन बीजों को मिल में जाकर के कच्ची घानी का तेल निकलवा लेना है.

बहुत सारे किसान भाइयों ने इस बात की जानकारी प्रदान की है कि यदि सरसों के बीजों को कुछ महीने या फिर 1 साल के लिए छोड़ दिया जाए,

उसके पश्चात यदि उस से तेल निकाला जाए तो इस प्रकार से अधिक तेल की प्राप्ति होती है.

निष्कर्ष

आज के इस पोस्ट में हमने आप सभी लोगों के समक्ष सरसों के विषय में सारी आवश्यक जानकारियां उल्लेखित कर दी है.

हमें आशा है कि हमारे द्वारा प्रदान की गई यह सभी जानकारी आपको फायदा प्रदान करेंगी.

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